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मुंबई, 15 फरवरी। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई तथा मुंबई महानगर की बैंकों की नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के संयोजक बैंक ऑफ महाराष्ट्र के संयुक्त तत्वावधान में “नई शिक्षा नीति : क्षेत्रीय भाषा और राजभाषा का परस्पर समन्वय” के सम-सामयिक विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया, जिसमें इस महत्वपूर्ण विषय के विविध पहलुओं पर गहन वैचारिक मंथन किया गया।
यह संगोष्ठी मुंबई के चर्चगेट स्थित इंडियन मर्चेंट चैम्बर्स के सभागार में शुक्रवार, 14 फरवरी, 2025 को महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे और अन्य अतिथिगणों द्वारा मॉं सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ शुरू हुई। सबसे पहले महाराष्ट्र राज्य गीत की प्रस्तुति हुई तथा मंच पर विराजमान सभी अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर एवं अकादमी द्वारा प्रकाशित ऐतिहासिक पुस्तक “महाराष्ट्र-बलिदानों की धरती” भेंट कर उनका स्वागत-सत्कार किया गया। इस गरिमापूर्ण संगोष्ठी के अध्यक्ष के रूप में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे तथा सह अध्यक्ष के रूप में बैंक नराकास, मुंबई के अध्यक्ष एवं बैंक ऑफ महाराष्ट्र के महाप्रबंधक गिरीश मोहनराव थोरात द्वारा नई शिक्षा नीति में राजभाषा और क्षेत्रीय भाषा के परस्पर समन्वय का बखूबी विश्लेषण किया गया। डॉ. दुबे ने इस आयोजन को अत्यंत प्रासंगिक बताते हुए कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं की जड़ें भारतीय संस्कृति के संवर्धन में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
अतः उनका संरक्षण बहुत आवश्यक है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र के महाप्रबंधक श्री थोरात ने कहा कि मुंबई की बैंक नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति राजभाषा के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं को भी बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रही है। मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार के गृह मंत्रालय में राजभाषा कार्यान्वयन की सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक डॉ. सुष्मिता भट्टाचार्य नई शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत करवाया। मुख्य वक्ताओं के रूप में हिंदी शिक्षण संस्था, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के उप निदेशक राजेंद्र वर्मा, एस एन डीटी महाविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. वंदना शर्मा तथा प्रसिद्ध कहानीकार, लेखक एवं बैंक ऑफ महाराष्ट्र के सेवानिवृत्त उप महाप्रबंधक डॉ. राजेंद्र श्रीवास्तव ने सुरुचिपूर्ण शैली में नई शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण मुद्दों की उपयोगी जानकारी दी। इन चर्चा सत्रों में विभिन्न वक्ताओं द्वारा मूल विषय को साहित्यिक दृष्टिकोण और तकनीकी दृष्टिकोण से भी बखूबी जोड़ा गया। मुख्य अतिथि डॉ. सुष्मिता भट्टाचार्य ने महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी तथा बैंक नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा भाषाओं के संवर्धन में किये जा रहे उल्लेखनीय कार्यों की सराहना की तथा इस संगोष्ठी के आयोजन को इस दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण कदम बताया।
विविध चर्चा सत्रों में विषय प्रवर्तकों के रूप में इंडियन ओवरसीज बैंक के राजभाषा प्रबंधक संतोष पाठक, सिडबी की सहायक महाप्रबंधक ( राजभाषा) श्रीमती सुनीता मुरली एवं एक्ज़िम बैंक के मुख्य राजभाषा प्रबंधक पद्माकर मिश्र ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस संगोष्ठी में बैंक नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति मुंबई के सदस्य कार्यालयों के राजभाषा अधिकारी और कार्यपालकों के अलावा महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य गजानन महतपुरकर एवं प्रो. मार्कंडेय त्रिपाठी तथा सह निदेशक सचिन निंबालकर भी मौजूद थे, जिनका स्वागत- सत्कार मंच पर किया गया। संगोष्ठी का सफल सूत्र संचालन एवं आभार प्रदर्शन बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र के मुख्य राजभाषा प्रबंधक और बैंक नराकास मुंबई के सदस्य सचिव हितेन्द्रनाथ घोटकर ने किया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार प्रो. अजीत राय, अश्वनी राय और उषा दुबे सहित विभिन्न साहित्य सेवी तथा विविध महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने भी बड़ी संख्या में सहभागिता दर्ज कराई।
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